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नारी – प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रोम

ये नारी, जो – माँ भी, बहन भी,

ये नारी, जो बेटी भी, और पत्नी भी –

केवल ये नारी ही समझाए –

के ये घर और कार्य का संतुलन,

 

कभी न रुके, कभी न थमे –

ऐ माँ – ऐ नारी –

ये योगदान – जिनकी तुलना नहीं,

ऐ माँ – ऐ नारी –

जिनके पास सभी समस्याओं का समाधान –

ये विकल्प – जो नारी ही समझाएँ,

ऐ माँ – ऐ नारी –

 

कभी राधा भी तू –

जो प्रेम की परिभाषा भी तू –

कभी मीरा भी तू –

जो त्याग की प्रत्याशा भी तू,

कभी उमा, कभी पार्वती –

जो तपस्या की चरम पर कभी –

तो कभी काली – रूद्रावतारिणी –

तू ही है – ऐ नारी –

तू ही – सर्वाधिकारी –

ऐ माँ – ऐ नारी !!!

 

 

-प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रोम

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