जय माँ दुर्गे;
A part of National Cultural Conclave
ॐ दुं दुर्गायै नमः॥
नाममात्र से जग – जाग – जीवन ;
शक्ति की उपासना तुझ से ही –
सौंदर्य तेरा – इतना के जीवन ;
तुझ सा ना हो – ना होगा ही –
सिंह पर सवार, तू करें न्याय जब –
त्रिशूल पर धारा बहती जो –
महिषासुर क्या – असुर राज जो :
सब हारे – न्यारे, तुझ पर ही ।
संतुलन जब खोए, तब जाने –
प्रतीक क्या – संहार क्या –
जय हो – जय हो – तेरा ही ;
धैर्य – वीर – वीरता – पर ही तू ;
निर्णय तेरा ही, संहार क्या ;
महिमा ऐसा, की निहारे ये मन ;
सृष्टि का आधार – संहार – भी तू –
हे माँ दुर्गे – नमन ये स्वीकारो ।।
तू ही ज्ञान की देवी ;
तू ही धर्मपरायण ।
जय हो – जय हो – हे माँ दुर्गे ।
ॐ दुं दुर्गायै नमः॥
-प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रोम

